|उपनाम=
|जन्म=
|जन्मस्थान=जौनपुर ज़िले का कोई गांव
|मृत्यु=
|कृतियाँ=मिरगावती
|विविध='काशी' (वर्तमान बनारस) में हरतीरथ मुहल्ले की चौमुहानी से पूरब की ओर लगभग एक फलाँग की दूरी पर 'कुतबन शहीद' नामक एक मुहल्ला है। वहीं एक मज़ार है, जो कुतबन की मज़ार के नाम से प्रसिद्ध है। कदाचित वह इन्हीं कुतबन की क़ब्र है।कुतबन हिन्दी के प्रसिद्ध सूफ़ी कवि थे, जिन्होंने मौलाना दाऊद के 'चन्दायन' की परम्परा में सन 1503 ई. में 'मृगावती' नामक प्रेमाख्यानक काव्य की रचना की। 'मृगावती' किसी पूर्व प्रचलित कथा के आधार पर लिखा गया है। इसमें दोहा, चौपाई, सोरठा, अरिल्ल आदि छन्दों का प्रयोग किया गया है, किन्तु इसकी शैली प्राकृत काव्यों का अनुकरण पर कड़वक वाली है। अपनी रचना 'मृगावती' में कुतबन ने चन्द्रनगर के राजा गणपतिदेव के राजकुमार और कँचनपुर के राजा रूपमुरारी की कन्या मृगावती की प्रेमकथा का वर्णन किया है। इस कहानी के द्वारा कवि ने प्रेममार्ग के त्याग और कष्ट का निरूपण करके साधक के भगवत् प्रेम का स्वरूप दिखाया है। बीच-बीच में सूफ़ियों की शैली के बड़े सुन्दर रहस्यमय आध्यात्मिक आभास हैं।
|जीवनी=[[कुतबन / परिचय]]
|अंग्रेज़ीनाम=Kutuban