गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
सागरभरि छाती चिरी / लक्ष्मीप्रसाद देवकोटा
No change in size
,
17:26, 8 मई 2020
सागरभरि छाती चिरी पहाडबाट आएँ
तीन तारे सारङ्गी लिई क्षण भर गीत गाएँ
लहरसँग मितेरी
लाइ
लाई
मैले छन्द पाएँ
कानबाट हृदयमा आज गुँड लाएँ
Sirjanbindu
Mover, Reupload, Uploader
10,369
edits