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{{KKRachna
|रचनाकार= सुरेन्द्र डी सोनी
|अनुवादक=
|संग्रह=मैं एक हरिण और तुम इंसान / सुरेन्द्र डी सोनी
}}
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<poem>
अपने फ़ोन की
सारी काल डिटेल्स को करके डिलीट
चढ़ता हूँ
घर की सीढ़ियाँ…

तुम
भरपूर मुस्कान के साथ
जैसे ही मुड़ती हो किचन में...
झपटता हूँ तुम्हारे फ़ोन पर..!
</poem>
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