682 bytes added,
14:47, 18 मई 2020 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= सुरेन्द्र डी सोनी
|अनुवादक=
|संग्रह=मैं एक हरिण और तुम इंसान / सुरेन्द्र डी सोनी
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
अपने फ़ोन की
सारी काल डिटेल्स को करके डिलीट
चढ़ता हूँ
घर की सीढ़ियाँ…
तुम
भरपूर मुस्कान के साथ
जैसे ही मुड़ती हो किचन में...
झपटता हूँ तुम्हारे फ़ोन पर..!
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader