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कविता-4 / रवीन्द्रनाथ ठाकुर

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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=रवीन्द्रनाथ ठाकुर |संग्रह=}}[[Category:अंग्रेज़ी भाषा]]{{KKCatKavita‎}}<Poem>मेरे प्‍यार की खुशबूख़ुशबूवसंत के फूलों -सी
चारों ओर उठ रही है।
यह पुरानी धुनों की
याद दिला रही है
अचानक मेरे ह्दय हृदय मेंईच्‍छाओं इच्‍छाओं की हरी पत्तियांपत्तियाँ
उगने लगी हैं
मेरा प्‍यार पास नहीं है
पर उसके स्‍पर्श मेरे केशों पर हैं
और उसकी आवाज आवाज़ अप्रैल केसुहावने मैदानों से फुसफुसाती आ रही है।है ।उसकी एकटक निगाह यहां यहाँ के
आसमानों से मुझे देख रही है
पर उसकी आंखें कहां आँखें कहाँ हैं
उसके चुंबन हवाओं में हैं
पर उसके होंठ कहां कहाँ हैं ...
अंग्रेजी '''अंग्रेज़ी से अनुवाद - : कुमार मुकुल'''</poem>
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