{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=नोमान शौक़
}}
कोई दोष नहीं दिया जा सकता<br />
अपनी ही चुनी हुई सरकार को<br />
सरकार के पास<br />
धर्म होता है अध्यात्म नहीं<br />
पुस्तकें होती हैं ज्ञान नहीं<br />
शब्द होते हैं भाव नहीं<br />
योजनाएँ होती हैं प्रतिबध्दता नहीं<br />
शरीर होता है आत्मा नहीं<br />
मुखौटे होते हैं चेहरा नहीं<br />
आँखें होती हैं आँसू नहीं<br />
बस, मौत के आँकडे होते हैं<br />
मौत की भयावहता नहीं<br />
सब कुछ होते हुए<br />
कुछ भी नहीं होता<br />
सरकार के पास !<br />
मैं तो<br />
बस झुंझलाना, ग़ुस्सा करना<br />