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08:33, 5 जून 2020 {{KKGlobal}}
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आजकल त ज़माना बा राउर
गाँव संउसे दीवाना बा राउर
खेत-खरिहान खोरी बगइचा
अब त सगरे सिवाना बा राउर
बेवफाई प नइखी चीहाईल
ई त आदत पुराना बा राउर
आँख काजर करे में खोदाइल
ई त रोवल बहाना बा राउर
पल में ' आसिफ' के फांसी झूला दीं
कोट-इजलास, थाना बा राउर
</poem>