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11:41, 5 जून 2020 {{KKGlobal}}
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<poem>
तोहरा मन पड़ते मनवा मगन हो गइल
कारी रतिया सोहागिन नियन हो गइल
आरती के बरल दीप लागेलू तू
तोहरा देखि के पावन नयन हो गइल
बिना मतलब के कतहूँ निहारत रहे
रूप में रब निहारत ई मन हो गइल
रूप पानी में कांपत चनरमा नियन
नेह पानी के चूमत पवन हो गइल
कुछ ना कहलू जे तू चुप रह गईनीं हम
आँखे आँखे में सातो बचन हो गइल
</poem>