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11:44, 5 जून 2020 {{KKGlobal}}
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<poem>
सहते सहते सहार हो जाई
दुखवा बढ़ी के पार हो जाई
तनी साजल करीं तरीका से
ना तs जिनगी उलार हो जाई
सहजे सहजे केहू से मिलs तू
ना तs मिललो बेकार हो जाई
छोड़s नफरत के प्यार का राहे
सभे केहू तोहार हो जाई
माटी आपन नरम तू होखे दs
सारा दुनिया से प्यार हो जाई
</poem>