1,147 bytes added,
19:00, 6 जून 2020 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatBhojpuriRachna}}
<poem>
हती-हती फुलवा हतना सोभे
बड़का कतना सोभी, फुलगोभी
देखते मनवा लोभी, फुलगोभी
उजर-उजर फर भर-भर झाबा
जइसे हो नेतवन के साभा
जिन्हनी के कुरुता पैजामा
धँगचि के धोअलस धोबी, फुलगोभी
भुँजले अहा, छेंवकले आहा
छनला पर त आहा-आहा
बाकिर तनी सम्हर के भाया
पिलुओ कतहूँ होखी, फुलगोभी
जे तीयन आलू के मेंजन
परवर- गोभी- बैगन- वैगन
प्रभु कभु कम करबऽ जो भेजन
तहरो जिभिया टोकी, फूलगोभी
देखते मनवा लोभी, फुलगोभी
</poem>