Changes

डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है
जा जा कर जाकर खाली हाथ लौटकर आता है
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम
संघर्ष का मैदान छोड़ मत भागो तुम
कुछ किये बिना ही जय जय कार जयकार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,056
edits