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रात और चीख़ / नोमान शौक़
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{{KKRachna
|रचनाकार=नोमान शौक़
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इक जंगली सूअर के डर से<br />
अपने-अपने घर में<br />
बिफरी हुई चिंगारियों का नृत्य<br />
इनकी ख्वाबगाहों में<br />
अंधेरा ही अंधेरा भर गया तो
........
...
अनिल जनविजय
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