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11:37, 15 जून 2020 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= इरशाद अज़ीज़
|अनुवादक=
|संग्रह= मन रो सरणाटो / इरशाद अज़ीज़
}}
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<poem>
लूवां रा झपेटा
म्हारै डील नैं
कुंदण बणा देवै
अर म्हैं बगत री
आंख्यां मांय आंख्यां घाल
हमेसा आ ईज कैवूं
मरणो सगळां नैं है
पण जीते-जी
म्हारै लोही नैं
ठंडो नीं पड़ण दूं।
</poem>
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