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16:06, 16 जून 2020 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=शिव ओम अम्बर
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<poem>
हिंदुस्तानी औरत यानी
घर भर की खातिर क़ुर्बानी
गृहलक्ष्मी पद की व्याख्या है
चौका चूल्हा रोटी पानी
रुख़सत करने में रज़िया को
टूट गए चाचा रमजानी
आँचल में अंगारे भरके
पीहर लौटी गुड़िया रानी
क़त्ल हुआ कन्या भ्रूणों का
तहज़ीबें देखी बेमानी
निर्धन को बेटी मत देना
घट घट वासी अवढर दानी</poem>