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चिराग़ दिल का म़ुकाबिल हवा के रखते हैं / हस्तीमल 'हस्ती'
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09:25, 17 जून 2020
कहीं ख़ुलूस कहीं दोस्ती, कहीं पे व़फा
बड़े
करीने
क़रीने
से घर को सजा के रखते हैं
अनापसंद हैं `हस्ती' जी सच सही लेकिन
नज़र को अपनी हमेशा झुका के रखते हैं
</poem>
Abhishek Amber
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