|रचनाकार=मंगलेश डबराल
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पिछली सर्दियाँ बहुत कठिन थीं
उन्हें याद करने पर मैं सिहरता हूँ इन सर्दियों में भी
हालाँकि इस बार दिन उतने कठोर नहीं
पिछली सर्दियाँ बहुत कठिन थीं<br>उन्हें याद करने पर मैं सिहरता हूँ इन सर्दियों में भी<br>चली गई थी मेरी माँहालांकि इस बार दिन उतने कठोर खो गया था मुझसे एक प्रेमपत्र छूट गई थी एक नौकरीरातों को पता नहीं<br><br>कहाँ भटकता रहाकहाँ कहाँ करता रहा टेलीफ़ोनपिछली सर्दियों मेंमेरी ही चीज़ें गिरती रही थीं मुझ पर
पिछली सर्दियोँ में चली गयी थी मेरी माँ<br>खो गया था मुझसे एक प्रेमपत्र छूट गई थी एक नौकरी<br>रातों को पता नहीं कहाँ भटकता रहा<br>कहाँ कहाँ करता रहा टेलीफोन<br>पिछली सर्दियोँ में<br>मेरी ही चीज़ें गिरती रही थीं मुझ पर<br><br> इन सर्दियोँ सर्दियों में<br>निकालता हूँ पिछली सर्दियोँ सर्दियों के कपड़े<br>कम्बल कंबल टोपी मोज़े मफ़लर<br>देखता हूँ उन्हें गौर से<br>सोचता हुआ बीत गया है पिछला समय<br>
ये सर्दियाँ क्यों होगी मेरे लिए पहले जैसी कठोर
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