Changes

दफ़्न हज़ारों ज़ख़्म जहाँ पर दबे हुए हैं राज़ कई
दिल के भीतर वो तहखाना तहख़ाना पहले भी था आज भी है
जिस पंछी की परवाज़ों में दिल की लगन भी शामिल हो
जीवन का ये पा पुराना पहले भी था आज भी है
बदल गया है हर इक किस्साफ़ानी किस्सा फ़ानी दुनिया का लेकिन
मेरी कहानी तेरा फ़साना पहले भी था आज भी है
</poem>
Mover, Reupload, Uploader
3,960
edits