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ओ दर्पण / ओम नीरव
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03:09, 20 जून 2020
माना पाँव पड़े कीचड़ में, छींटे चेहरे पर भी आये,
किन्तु न लाए पास तुम्हारे, कभी बिना धोये चमकाये l
फिरभी
फिर भी
तुमने छाप दिये हैं,
दाग
दाग़
सभी वैसे के वैसे,
कोई भी जो देख न पाया, वह तुमने ही देखा कैसे?
नहीं नहीं तुम ही झूठे हो l
Abhishek Amber
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