यदि पचा सीमेंट-सरिया काश, पाती बकरियाँ।
आदमी की खाल ख़ाल में हैं रक्त-प्यासे भेड़िए, व्यर्थ में ही खैर ख़ैर बेटों की मनाती बकरियाँ।
देख मिमियाँ कर उछलना भा गया उनका बहुत,
जब मिली 'नीरव ' ललक थूथन उठाती बकरियाँ।
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आधार छंद-गीतिका
मापनी-गालगागा गालगागा-गालगागा गालगा
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