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आग्रह / श्रीनिवास श्रीकांत
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07:20, 20 जून 2020
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{{KKRachna
|रचनाकार=श्रीनिवास श्रीकांत
|संग्रह=घर एक यात्रा है / श्रीनिवास श्रीकांत
}}
<poem>
aagrah
(मित्रों से क्षमा सहित)
मित्रो, मैं मर जाऊँ
सहज ही समझ जाएँगी
मैं था एक ज़हरीला साँप।
</poem>
Mukesh Negi
Abhishek Amber
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