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भारी हवा / मंगलेश डबराल
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08:11, 20 जून 2020
मनुष्य को कभी मिटा नहीं पाओगे ।
यही सब कहता हूँ किसी उधेड़बुन और
तकलीफ
तकलीफ़
में
आसपास की हवा लोहे सरीखी भारी और गर्म है
शाम दूर तक फैला हुआ एक बियाबान
Abhishek Amber
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