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दशैँ सम्झे तिहार सम्झे / रमेश क्षितिज
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10:34, 23 जून 2020
यसपालि त फेरूँ भन्थे चौबन्दीको धूलोमैलो
रोपी होली बहिनीले आँगनमा सयपत्री
बिर्स्या भनी
रोर्इ
रोई
होली मैले सम्झे कतिकति
</poem>
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