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पेशानियों पे लिखे मुक़द्दर नहीं मिले / राहत इन्दौरी
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05:37, 24 जून 2020
आवारगी को डूबते सूरज से रब्त है,
मग़्रिब
मग़रिब
के बाद हम भी तो घर पर नहीं मिले|
कल आईनों का जश्न हुआ था तमाम रात,
Arti Singh
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