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एक बून्द / अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’
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12:18, 27 जून 2020
थी अभी एक बूँद कुछ आगे बढ़ी,
सोचने फिर-फिर यही जी में लगी
हाय क्यों घर छोड़कर मैं यों
बढ़ी।
कढ़ी।
मैं बचूँगी या मिलूँगी धूल में,
Sharda suman
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