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उषा की लाली / नागार्जुन
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16:23, 29 जून 2020
उषा की लाली में
अभी से गए निखर
हिमगिरि के कनक शिखर
!
आगे बढ़ा शिशु रवि
डर था, प्रतिपल
अपरूप यह जादुई आभा
जाए ना बिखर, जाए ना बिखर
,
...
उषा की लाली में
भले हो उठे थे निखर
हिमगिरी
हिमगिरि
के कनक शिखर
!
</poem>
Arti Singh
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