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<poem>
आधी-आधी रतिया के पिहिके पपीहरा से बैरनियाँ भइली ना।
द्विज महेन्द्र इहो गावेलें पुरूबिया से सवतिया कइलें ना।
बिरहिनिया के छतिया में अगिया धइलें ना।
 
</poem>
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