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कुछ कहना चाहती थी वो
पर न जाने क्यों...
'कुछ' कहने की कोशिस कोशिश में
'बहुत-कुछ' छूट जाता था, उसका...
उन यादों से भरी टोकरी को
जिसमें भरे पड़े थे
उसके बीते लम्हों के कुछ रंग-बिरंगे अहसास,कुछ यादें,कुछ वादें और भी बहुत कुछ...
गूंथने बैठ जाती वो
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