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...तो जानूँ / जानकीवल्लभ शास्त्री
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09:19, 11 जुलाई 2020
<poem>
तीखे काँटों को
फूलों का
श्रृंगार
शृंगार
बना दो तो जानूँ।
वीरान ज़िन्दगी की ख़ातिर
अनिल जनविजय
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