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14:08, 11 जुलाई 2020 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=लावण्या शाह
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कोटि कोटि कंठों से गूंजे
जय मां जय जय भारती!
जय मां जय जय भारती!
हे रत्न मण्डिता कोमल वदना
हे शुभ्रवर्ण तू अभयदायिनी
हे शस्य श्यामला,
हिम किरीटि–धारिणी
मंद–स्मिता, नव कमल मालिनी
जय मां जय जय भारती!
हे वेद प्रसविता, वीर जननी
हे ब्रह्मसुता, वरद वर दायिनी,
उन्नत ललाट जग तारिणी
हे ऋषिगण सेवित मानिनी
जय मां जय जय भारती!
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