Changes

दिये और रोशनी / लावण्या शाह

2,292 bytes added, 14:33, 18 जुलाई 2020
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लावण्या शाह |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=लावण्या शाह
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}

<poem>
हँस ले दिए, हँस ले मुस्कुरा ले
आया सुमंगल है त्यौहार अपना
ले कुमकुम चरण, आईं माँ लक्ष्मी,
रौशन हुआ घर का कोना, कोना !

मन से मन की हो दूरी, ना ये जरूरी
खुशियाँ लिए आया त्यौहार अँगना !
तेरी रौशनी से जगमगाता सुहाना
उमंगों सभर, हँस रहा चारों कोना !
हँस ले दिए , हँस ले मुस्कुरा ले !
रौशन हुआ घर का कोना, कोना !

हर तूफ़ानों से लड़ता है तू हरदम
तेरी रौशनी को न कोइ छीन पाया !
दिया तुझको है बल, किसने दिये ऐ!
बतला किस से पाया है विश्वास अपना ?
है रचना ये उसकी, ब्रह्माण्ड - भूतल
उसे कोई अब तक, न है जान पाया !
हँस ले दिए , हँस ले मुस्कुरा ले !
रौशन हुआ घर का कोना, कोना !

उसी ने बनाए हैं फूल रंगीन प्यारे
उसी ने बनाए जुगनू, चाँद औ सितारे।
वही रोशन करता, है हर एक निशानी
कहती ज्योति सुन, अब मेरी कहानी
रौशन कर दिए को ये दुनिया है फ़ानी !
हँस इंसान, हो रौशन दिए की तरहा
अपने मन से मिटा दे हर एक परेशानी !
सुन बात जोत की हँस दिए, फिर दिये,
खिल उठी रौशनी, आ गई दीपावली !
</poem>
350
edits