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खलक खुदा ख़ल्क ख़ुदा का, मुलुक बाश्शा का
हुकुम शहर कोतवाल का...
हर खासो-आम को आगह किया जाता है
सड़कों पर सच बोलता हुआ निकल पड़ा है !
शहर का हर बशर वाकिफ वाक़िफ़ है
कि पच्चीस साल से मुजिर है यह
कि हालात को हालात की तरह बयान किया जाए