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{{KKCatRubaayi}}
<poem>वादक बन मधु का विक्रेता लाया सुर-सुमधुर-हाला,<br>रागिनियाँ बन साकी आई भरकर तारों का प्याला,<br>विक्रेता के संकेतों पर दौड़ लयों, आलापों में,<br>पान कराती श्रोतागण को, झंकृत वीणा मधुशाला।।४१।<br><br>
चित्रकार बन साकी आता लेकर तूली का प्याला,<br>जिसमें भरकर पान कराता वह बहु रस-रंगी हाला,<br>मन के चित्र जिसे पी-पीकर रंग-बिरंगे हो जाते,<br>चित्रपटी पर नाच रही है एक मनोहर मधुशाला।।४२।<br><br>
घन श्यामल अंगूर लता से खिंच खिंच यह आती हाला,<br>अरूण-कमल-कोमल कलियों की प्याली, फूलों का प्याला,<br>लोल हिलोरें साकी बन बन माणिक मधु से भर जातीं,<br>हंस मज्ञल्तऌा होते पी पीकर मानसरोवर मधुशाला।।४३।<br><br>
हिम श्रेणी अंगूर लता-सी फैली, हिम जल है हाला,<br>चंचल नदियाँ साकी बनकर, भरकर लहरों का प्याला,<br>कोमल कूर-करों में अपने छलकाती निशिदिन चलतीं,<br>पीकर खेत खड़े लहराते, भारत पावन मधुशाला।।४४।<br><br>
धीर सुतों के हृदय रक्त की आज बना रक्तिम हाला,<br>वीर सुतों के वर शीशों का हाथों में लेकर प्याला,<br>अति उदार दानी साकी है आज बनी भारतमाता,<br>स्वतंत्रता है तृषित कालिका बलिवेदी है मधुशाला।।४५।<br><br>
दुतकारा मस्जिद ने मुझको कहकर है पीनेवाला,<br>ठुकराया ठाकुरद्वारे ने देख हथेली पर प्याला,<br>कहाँ ठिकाना मिलता जग में भला अभागे काफिर को?<br>शरणस्थल बनकर न मुझे यदि अपना लेती मधुशाला।।४६।<br><br>
पथिक बना मैं घूम रहा हूँ, सभी जगह मिलती हाला,<br>सभी जगह मिल जाता साकी, सभी जगह मिलता प्याला,<br>मुझे ठहरने का, हे मित्रों, कष्ट नहीं कुछ भी होता,<br>मिले न मंदिर, मिले न मस्जिद, मिल जाती है मधुशाला।।४७।<br><br>
सजें न मस्जिद और नमाज़ी कहता है अल्लाताला,<br>सजधजकर, पर, साकी आता, बन ठनकर, पीनेवाला,<br>शेख, कहाँ तुलना हो सकती मस्जिद की मदिरालय से<br>चिर विधवा है मस्जिद तेरी, सदा सुहागिन मधुशाला।।४८।<br><br>
बजी नफ़ीरी और नमाज़ी भूल गया अल्लाताला,<br>गाज गिरी, पर ध्यान सुरा में मग्न रहा पीनेवाला,<br>शेख, बुरा मत मानो इसको, साफ़ कहूँ तो मस्जिद को<br>अभी युगों तक सिखलाएगी ध्यान लगाना मधुशाला!।४९।<br><br>
मुसलमान औ' हिन्दू है दो, एक, मगर, उनका प्याला,<br>एक, मगर, उनका मदिरालय, एक, मगर, उनकी हाला,<br>दोनों रहते एक न जब तक मस्जिद मन्दिर में जाते,<br>बैर बढ़ाते मस्जिद मन्दिर मेल कराती मधुशाला!।५०।<br><br>
कोई भी हो शेख नमाज़ी या पंडित जपता माला,<br>बैर भाव चाहे जितना हो मदिरा से रखनेवाला,<br>एक बार बस मधुशाला के आगे से होकर निकले,<br>देखूँ कैसे थाम न लेती दामन उसका मधुशाला!।५१।<br><br>
और रसों में स्वाद तभी तक, दूर जभी तक है हाला,<br>इतरा लें सब पात्र न जब तक, आगे आता है प्याला,<br>कर लें पूजा शेख, पुजारी तब तक मस्जिद मन्दिर में<br>घूँघट का पट खोल न जब तक झाँक रही है मधुशाला।।५२।<br><br>
आज करे परहेज़ जगत, पर, कल पीनी होगी हाला,<br>आज करे इन्कार जगत पर कल पीना होगा प्याला,<br>होने दो पैदा मद का महमूद जगत में कोई, फिर<br>जहाँ अभी हैं मन्िदर मस्जिद वहाँ बनेगी मधुशाला।।५३।<br><br>
यज्ञ अग्नि सी धधक रही है मधु की भटठी की ज्वाला,<br>ऋषि सा ध्यान लगा बैठा है हर मदिरा पीने वाला,<br>मुनि कन्याओं सी मधुघट ले फिरतीं साकीबालाएँ,<br>किसी तपोवन से क्या कम है मेरी पावन मधुशाला।।५४।<br><br>
सोम सुरा पुरखे पीते थे, हम कहते उसको हाला,<br>द्रोणकलश जिसको कहते थे, आज वही मधुघट आला,<br>वेदिवहित यह रस्म न छोड़ो वेदों के ठेकेदारों,<br>युग युग से है पुजती आई नई नहीं है मधुशाला।।५५।<br><br>
वही वारूणी जो थी सागर मथकर निकली अब हाला,<br>रंभा की संतान जगत में कहलाती 'साकीबाला',<br>देव अदेव जिसे ले आए, संत महंत मिटा देंगे!<br>किसमें कितना दम खम, इसको खूब समझती मधुशाला।।५६।<br><br>
कभी न सुन पड़ता, 'इसने, हा, छू दी मेरी हाला',<br>कभी न कोई कहता, 'उसने जूठा कर डाला प्याला',<br>सभी जाति के लोग यहाँ पर साथ बैठकर पीते हैं,<br>सौ सुधारकों का करती है काम अकेले मधुशाला।।५७।<br><br>
श्रम, संकट, संताप, सभी तुम भूला करते पी हाला,<br>सबक बड़ा तुम सीख चुके यदि सीखा रहना मतवाला,<br>व्यर्थ बने जाते हो हिरजन, तुम तो मधुजन ही अच्छे,<br>ठुकराते हिर मंिदरवाले, पलक बिछाती मधुशाला।।५८।<br><br>
एक तरह से सबका स्वागत करती है साकीबाला,<br>अज्ञ विज्ञ में है क्या अंतर हो जाने पर मतवाला,<br>रंक राव में भेद हुआ है कभी नहीं मदिरालय में,<br>साम्यवाद की प्रथम प्रचारक है यह मेरी मधुशाला।।५९।<br><br>
बार बार मैंने आगे बढ़ आज नहीं माँगी हाला,<br>समझ न लेना इससे मुझको साधारण पीने वाला,<br>हो तो लेने दो ऐ साकी दूर प्रथम संकोचों को,<br>मेरे ही स्वर से फिर सारी गूँज उठेगी मधुशाला।।६०।<br/poem><br> {{KKPageNavigation|पीछे=मधुशाला / भाग २ / हरिवंशराय बच्चन|आगे=मधुशाला / भाग ४ / हरिवंशराय बच्चन|सारणी=मधुशाला / हरिवंशराय बच्चन}}