{{KKRachna
|रचनाकार=हरिवंशराय बच्चन
|अनुवादक=
|संग्रह=हलाहल / हरिवंशराय बच्चन
}}
{{KKCatKavita}}<poem>
कि जीवन आशा का उल्लास,
कि जीवन आशा का उपहास,
कि जीवन आशामय उद्गार,
कि जीवन आशाहीन पुकार,
:::दिवा-निशि की सीमा पर बैठ :::निकालूँ भी तो क्या परिणाम, :::विहँसता आता है हर प्रात, :::बिलखती जाती है हर शाम!</poem>