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हम इक भटके हुए राही को अपना रहनुमा समझे / सुरेश चन्द्र शौक़
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10:44, 20 सितम्बर 2008
मुह्ताज—ए—साहिल= किनारे का इच्छुक; नाख़ुदा=नाविक; नास्सेह=नसीहत करने वाला;
मौज़ू—ए—महब्बत=प्यार का विषय; रिज़ा:अनुमति;पेश—ख़ैमा=भूमिका.
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