{{KKRachna
|रचनाकार=हरिवंशराय बच्चन
|अनुवादक=
|संग्रह=बहुत दिन बीते / हरिवंशराय बच्चन
}}
{{KKCatKavita}}<poem>
बाढ़ आ गई है, बाढ़!
बाढ़ आ गई है, बाढ़!
:::वह सब नीचे बैठ गया है :::::जो था गरू-भरू, ::::::भारी-भरकम, ::::::लोह-ठोस ::::::टन-मन ::::::वज़नदार!
और ऊपर-ऊपर उतरा रहे हैं
:::::किरासिन की खालीद टिन, ::::::डालडा के डिब्बेडिब्बे, ::::::पोलवाले ढोल, ::::::डाल-डलिए- सूप, ::::::काठ-कबाड़-कतवार!
बाढ़ आ गई है, बाढ़!
बाढ़ आ गई है, बाढ़!
</poem>