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दिखा नही मेले में मुझको / अंकित काव्यांश
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17:58, 2 अगस्त 2020
तोल-मोल में
माहिर व्यापारी थे सारे
सोचा
खाली
ख़ाली
हाथ लिए ही घर जाऊँ मैं।
रामकथा का मंचन करती हुई मण्डली
शायद कोई हो जो उससे मिलकर आया।
चकाचौंध में डूबा हुआ एक भी मानुष
अक्षय आकर्षण का पता
नही
नहीं
दे पाया।
अपनी पूँजी
Abhishek Amber
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