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सरहद पर सिंदूर / अंकिता कुलश्रेष्ठ
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12:40, 3 अगस्त 2020
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गाड़ी
गुजरीं
गुज़रीं
अनगिनत, होता हृदय अधीर।
फोन
फ़ोन
नहीं पिय का लगे, नैनन बहता नीर।।
गुमसुम बैठी सोचती,लेकर मन में आस।
Abhishek Amber
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