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13:29, 11 अगस्त 2020 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=कुमार विक्रम
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<poem>
माँ-बाप बनाने तो निकले थे बच्चे को इंसान
पर रास्ता काट गए मुल्ला और पंडित
बच्चे बन गए हिन्दू या मुसलमान
उल्टे अब आलम यह कि कुछ तो देखा-देखी में
और कुछ यारी अथवा ऐयारी में
अच्छे खासे इंसान वापिस बन गए हैं
फिर से हिन्दू और मुसलमान
और मानो इतनी मासूमियत कम नहीं थी
जो वे मानते थे
कि उनके अलग अलग हैं
खुदा और भगवान
जो अब वे यह समझ बैठे हैं
उनके हैं अलग अलग शैतान
''‘उद्भावना ‘ 2015''
</poem>