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करपूर गौरम करूणावतारम  संसार सारम भुजगेन्द्र हारम |<poem>कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्। सदा वसंतम हृदयारविंदे  भवम भवानी सहितं नमामि ||बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि।।
मंगलम भगवान् विष्णु
 
मंगलम गरुड़ध्वजः |
 
मंगलम पुन्डरी काक्षो
 
मंगलायतनो हरि ||
 सर्व मंगल मांग्लयै शिवे सर्वार्थ साधिके | शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते || 
त्वमेव माता च पिता त्वमेव
 
त्वमेव बंधू च सखा त्वमेव
 
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव
 
त्वमेव सर्वं मम देव देव
 
कायेन वाचा मनसेंद्रियैर्वा
 
बुध्यात्मना वा प्रकृतेः स्वभावात
 
करोमि यध्य्त सकलं परस्मै
 
नारायणायेति समर्पयामि ||
 
श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारे
 
हे नाथ नारायण वासुदेव |
 
जिब्हे पिबस्व अमृतं एत देव
 
गोविन्द दामोदर माधवेती ||
</poem>
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