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हर दिल अजीज भी है हर दिल का है उजाला॥
क्या है वो क्या नहीं झगड़ा दूर हो तब।
होता है जब वो जाहिर परदे में छिप्नेवाला॥छिपनेवाला॥
खम्भे से मूर्ती से जल सिन्धु से जमीं से।
पलभर में निकल आया जिसने जहाँ निकला।
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