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रचते हुए / सुकेश साहनी

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मुर्दो में जिन्दा आदमी की तरह
ठहरना अगर पड़े तो
ठहरो-
प्लेटफार्म पर सवारी गाड़ी की तरह
बरसोंबरसो,बहो, गिरो, खिलो, चीखो, ठहरो-काला लौह-खण्ड-सा पत्थर
भुरभुरा कर फिर आ मिलेगा
मिट्टी की धारा सेरचने लगेगातुम्हारे संगगेहूँ की बालियाँसे।
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