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हो कंस! तेरा भ्रम मिटाऊं मैं / प.रघुनाथ
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22:14, 26 अगस्त 2020
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<poem>
'''हो कंस तेरा भरम मिटाऊं मैं।
'''
'''
दोनों घर बसे रहें, खुशी की बात बताऊं मैं।।टेक।।'''
कारागार में खास आपकी, बहन को पहुंचाओ आप।
राज की तरफ से पहरा, अपना ही लगाओ आप।।
Sandeeap Sharma
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