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{{KKRachna
|रचनाकार=रामधारी सिंह "दिनकर"
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::मघुर कैसी है यह नगरी!
::धन्य री जगत पुलक-भरी!
 
::चन्द्रिका-पट का कर परिधान,
१९३१
 
 
 
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