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05:16, 7 सितम्बर 2020 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रमेश तन्हा
|अनुवादक=
|संग्रह=तीसरा दरिया / रमेश तन्हा
}}
{{KKCatRubaayi}}
<poem>
किस काम की ख़ातिर है ये फ़ानी दुनिया
कुछ भी तो नहीं है आनी जानी दुनिया
बस बैठ के सिर्फ इसका तमाशा देखो
है भागते सायों की कहानी दुनिया।
</poem>