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05:21, 7 सितम्बर 2020 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रमेश तन्हा
|अनुवादक=
|संग्रह=तीसरा दरिया / रमेश तन्हा
}}
{{KKCatRubaayi}}
<poem>
कुछ सोच के कहने का मैं आदी भी नहीं
दुनिया कि मिरी सोच से चलती भी नहीं
दुनिया से मेरा रिश्ता है क्या क्या मालूम
मैं हूँ कि किसी और का सानी भी नहीं।
</poem>