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|रचनाकार=रमेश तन्हा
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|संग्रह=तीसरा दरिया / रमेश तन्हा
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<poem>
होना है जो होगा वही डरता क्या है
खुद-साख्ता कर्ब से गुज़रता क्या है
लम्हे की नज़ाकत भी, चलो होती है
दिल को जो बुरा लगे वो डरता क्या है।
</poem>
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