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05:40, 7 सितम्बर 2020 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रमेश तन्हा
|अनुवादक=
|संग्रह=तीसरा दरिया / रमेश तन्हा
}}
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<poem>
पुर-कैफ़ सुहाना कोई मंज़र भी तो हो
अनवार में डूबा कोई पैकर भी तो हो
मालूम पे लौट आयेगी हर शय खुद ही
माहौल का कुछ मिजाज़ बेहतर भी तो हो।
</poem>