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वसीयत / अज्ञेय
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{{KKRachna
|रचनाकार=गोपाल सिंह नेपाली
}}
<poem>
मेरी छाती पर
हवाएं लिख जाती हैं
क्या मेरी गवाही
तुम्हारी वसीयत से ज्यादा
टिकाउू
टिकाऊ
होगी ?
</poem>
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