Changes

{{KKAnthologyVarsha}}
<poem>
घन गरजत बरसत है मिहरा
बिजरी चमके डर मोहि लागे, प्यारा लगेरी मिहरा
दादुर मोर पपिहरा बोले, आम की डाल कोयालियाँ बोले
514
edits