{{KKRachna
|रचनाकार=शहरयार
|अनुवादक=
|संग्रह=शाम होने वाली है / शहरयार
}}
{{KKCatNazm}}<poem>
मेरे दिल की ख़ौफ़-हिकायत में
यह बात कहीं पर दर्ज करो
मुझे अपनी सदा सुनने की सज़ा
लम्बी चुप की सूरत में
मेरे बोलने में जो लुकनत है
इस लम्बी चुप का नतीजा है।
'''शब्दार्थ :'''
लुकनत=तुतलाहट
</poem>