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बूढ़ा मलबा / निदा फ़ाज़ली

16 bytes added, 12:24, 11 अक्टूबर 2020
{{KKRachna
|रचनाकार=निदा फ़ाज़ली
|अनुवादक=
|संग्रह=आँखों भर आकाश / निदा फ़ाज़ली
}}
{{KKCatNazm}}हर माँ<brpoem>हर माँअपनी कोख से<br>अपने शौहर को जन्मा करती है<br>मैं भी अब<br>अपने कन्धों से<br>बूढ़े मलवे को ढो-ढो कर<br>थक जाऊँगा<br>अपनी महबूबा के<br>कुँवारे गर्भ में<br>
छुप कर सो जाऊँगा।
</poem>
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